Tuesday, June 30, 2009


खालीपन......




खालीपन नया काम शुरू करने का शुभ मुहूर्त होता हैं। खालीपन किसी काम के ख़त्म होने की और किसी नये काम के शुरू होने की निशानी होती हैं।



खालीपन मन को तरो ताज़ा करने का एक अच्छा समय होता है। एक मात्रा तक खालीपन मन और आत्मा को शांती प्रदान कर सकता हैं। यह वही समय होता है जब किसी अच्छे विचार और अच्छी शुरुवात करने का प्रारम्भ किया जा सकता हैं।




मन पर जो बोज़ होता है वह खालीपन में दूर किया जा सकता हैं। खालीपन में नये विचारों पर सोचा जा सकता हैं। खालीपन में भूतकाल में की गई त्रुटियों पर विचार किया जा सकता हैं। खालीपन मन को नई दिशा दे सकता है। यह वही समय होता है जिससे एक नई शुरुवात की जा सकती है। कुछ लोग खालीपन को सोना (गोल्ड) मानते हैं।




नये विचारों और नई शुरुवात का शुभ मुहूर्त होता हैं खालीपन। खालीपन जिन्दगी की नई शुरुवात हो सकती हैं। खालीपन एक नया मौका हो सकता हैं।





खालीपन एक नई शुरुवात..........




Monday, June 29, 2009




लोकप्रियता.....


कला के परिपक्व होने को लोकप्रियता कहा जा सकता हैं।


कला.... एक इच्छा और उमंग के साथ बनती तथा सवरती हैं।

कला को आत्म-इच्छा और रूचि से बनाया तथा मेहनत के धागे में पिरोया जा सकता हैं। इसे सिर्फ़ आत्म-इच्छा से आगे बढाया जा सकता हैं। लोकप्रियता.... कला के अन्तिम छोर का चरम बिन्दु होती हैं।


लोकप्रियता.... कला के परिपक्वता का ही परिणाम हैं। कला में आत्मा को ढूंढने वालों को लोकप्रियता से कोई वास्ता नही लगता और नाही उन्हें कोई लगाव होता है। ये तो बस आत्मा की तृप्ति के लिए बनाई और सवारी जाती है।


लोकप्रियता... कला के परिपक्वता का एक मीठा फल है जिसे कला को सवारने वाले कभी खाने की इच्छा नही करते। वे तो इसे कला के लिए की गई मेहनत के पेड़ का फूल समजते हैं जिसे सिर्फ़ देखा और निहारा जा सकता हैं।


कला तो आत्मा का दर्पण होती हैं। यह तो बस अपने आप आत्मा के धुन में रंग जाती है और बनती सवरती रहती है। यह लगन बढाती हैं। लगन तो आत्मा के अनुकूल होने पर ही अपने आप बनती तथा बदती हैं।



कला...... आत्मा की धुंद

Saturday, June 27, 2009



नज़र



नज़र.... एक मन का दर्पण। अपने मन का संभाषण अपनी नज़र से कहा या व्यक्त किया जाता है।

अपने मन के हर भाव को नज़र के द्वारा प्रकट किया जा सकता है।

नज़र किसी के दिल तक पहुँचने का एक जरिया है। कहते है की दिल भाषा आंखों से और आंखों की भाषा दिल से पढ़ी या जानी जा सकती है।



किसी के मन की बात पढ़नी हो तो सिर्फ़ उनकी आंखों में देख लो.... मन की बाअपने आप समज में आ जाएगी। कोई चाहे कितनी भी कोशिश करे पर अपने दिल की बात को अपनी आखों से, अपनी नज़र से नहीं छुपा सकतें।



नज़र हमेशा सच कहती है। यह एक ही बात या चीज है जो सिर्फ़ सच कहना जानती है। नज़र पर कभी किसी का ज़ोर नहीं चलता। ये तो बस हमेशा दिल का दर्पण बयां करती है। नज़र का रास्ता सीधा दिल तक जाता है, यानी किसी के दिल को जानना हो तो सिर्फ़ उनकी नज़र से नज़र मिला लीजिए, सब बातें अपने आप समाज में जाएंगी।



नज़र एक मन की परिभाषा होती है।


नज़र... दिल तक ले जाने वाला सीधा रास्ता.....

Friday, June 26, 2009



सुन्दरता......


सुन्दरता.... नैसर्गिकता की एक झलक होती है। सुन्दरता के हर पहलु में नैसर्गिकता झलकती है।

एक तरह से देखा जाए तो नैसर्गिकता ही सुन्दरता होती है।

फिर वो जो कुछ भी हो, सुन्दरता और नैसर्गिकता एक दूजे के दर्पण ही होते है। सुन्दरता को किसी एक दृष्टी से नही देखा जा सकता, बल्कि सुन्दरता के हर पहलु में एक सादगी होती है और सादगी हमेशा सादगी ही होती है और सादगी भी नैसर्गिकता का एक हिस्सा होती है।



नैसर्गिकता एक सुन्दरता के रूप में देखी जा सकती है और उसी तरह सुन्दरता भी एक नैसर्गिकता के रूप में देखी और महसूस की जा सकती है। सुन्दरता एहसास की जा सकती है, बल्कि नैसर्गिकता तो ख़ुद एक सुन्दरता होती है। जिसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है। सुन्दरता एक मीठा एहसास होती है। सुन्दरता मन को भा जाती है।



जहाँ सुन्दरता एक एहसास है वहां नैसर्गिकता एक गुन है। सभी गुन अगर नैसर्गिक रूप से बहर आए तो एक बहोत प्यारा संगम हो सकता है। सुन्दरता और नैसर्गिकता बस मन में बसी हुई एक छबि होती है।



सुन्दरता एक नैसर्गिकता और नैसर्गिकता एक सुन्दरता........


Thursday, June 25, 2009



आत्मविश्वास...



आत्मविश्वास आत्मा की अनुकूलता होती है। आत्मविश्वास एक गहराई भरा एहसास होता है।

यह एक सरल एहसास लगता है।

एक रास्ता जो सीधा आत्मा की ओर से अपनी ओर आता है।

सब चीजों पर एक वर्चस्व लगने लगता है। एक उमंग भरा एहसास लगता है। आत्मविश्वास एक खुशी भरा एहसास लगता है। जब आत्मा अनुकूल हो जाती है तब सब कुछ सरल लगने लगता है। जिन्दगी का सही एहसास हम तब महसूस करते है। आत्मविश्वास यह एक अनुकूलता होती है, जो सहज रूप से हम उसे महसूस करते है। यह कभी प्रयास करने से नही मिलता, बल्कि एक अवसर पर हम उसे महसूस करने लगते है। यह एक मजबूत एहसास होता है, जो कभी प्रयास करने से नही मिल सकता।



आत्मविश्वास आत्मा की खुशी होती है। जब आत्मा खुश हो तभी हम सब आत्मविश्वास का एहसास महसूस कर सकते है। इसे बस महसूस किया जा सकता है, इसे पाया नही जा सकता। इस रस्ते पर चलना हमेशा अच्छा लगता है।



एक बार कभी अकेले में बैठकर अपनी आत्मा की आवाज सुनने की कोशिश तो करो, क्या पता वहाँ से एक रास्ता सीधा आप की ओर चला आए और पता चले की वो ओर कोई नही बल्कि आत्मा की खुशी है, आप का अपना आत्मविश्वास है.....



आत्मा की खुशी....... आत्मविश्वास.....

Wednesday, June 24, 2009



विश्वास......



चीजें जब तक परफेक्ट न हो तो अछी नही लगती। ये देख रहे हो, ये ट्रोफिज, ये मेडल्स, ये सर्टिफीकेट्स.. ये सब अलग अलग जंगो में अलग अलग फ्रंट्स पे, इसी रेज्मंड्स के बहादुर ऑफिसर्स और जवानों ने इस रेजिमेंड को दिलाए है.... कभी जान पर खेल कर.... कभी जान देकर.... इस रेज्मंडने हमेशा अपने मुल्क और अपनी फौज को कामियाबी और जीत की ख़बर सुनाई है....

और जिस पल तुम ने इसे ज्वाइन किया है, ये तमाम ट्रोफिज और पुरस्कारों के साथ तुम्हारा एक रिश्ता बन गया है।

इन की इज्जत और मान रखना तुम्हारा काम है। और इस काम के लिए तुम्हारे साथ सौ करोड़ आदमियों का आशिर्वाद और विश्वास है। इस देश के सौ करोड़ इन्सान, जो इस विश्वास के साथ सोते है के मैं और तुम जाग रहे हैं।

ये विश्वास बहोत बड़ी इज्जत है......

और बहोत बड़ी जिम्मेदारी भी....

यु अंडरस्टेंड ? यस सर... गुड....

विश्वास एक बहोत बड़ी इज्जत और बहोत बड़ी जिम्मेदारी भी........

Tuesday, June 23, 2009


जिम्मेदारी.......

कभी कभी जिम्मेदारी एक दूर की सोच लगती है। कभी कभी दूर की सोच कर कोई निर्णय लेना यह हिसी डर की निशानी नहीं होती। सोच समजकर लिया हुआ फ़ैसला भी तो एक समज भरी जिम्मेदारी की निशानी ही तो है।
कभी कभी किसी चीज का निर्णय न लेना या ना ले पाना भी जिम्मेदारी के प्रति उठाया हुआ एक समज भरा कदम ही लगता है। जिम्मेदारी एक समज है, एक सोच है, अपने मन का एक दर्पण है।

जिम्मेदारी का मतलब सिर्फ़ काम को पुरा करना ही नहीं होता बल्कि काम के परिणाम को समज कर निर्णय लेना होता है। किसी चीज के प्रति सुरक्षित भाव रखना, डरना नहीं होता है, बल्कि उसके प्रति सुरक्षितता का भाव होता है। जिम्मेदारी का भाव अपना ही एक दर्पण होता है। बस अब यह हमपर निर्भर करता है की हम इस जिम्मेदारी को किस नजरिये से देखते है।

जिम्मेदारी हमारे भविष्य की निशानी भी होती है।

दिल का एहसास........

Monday, June 22, 2009

एहसास.......

एहसास.......
जींदगी कभी कभी एक एहसास लगती है। बच्यों को रूठे हुए देखना, उन्हें हँसता हुआ देखना, उनको मनाते हुए देखना, ये सभी एक एहसास ही तो है।
एक ओर जिन्दगी के साथ रहकर उसके हर पहलु को समजना ओर उसके एहसास को जीना, ये बातें कभी कभी तो समज के बाहर होती है। फिर भी ये एहसास बहोत बार अच्छे लगने लगते है।

श्यायद इन्ही एहसासों की वजह से जिन्दगी मीठीसी लगाती है। एहसास हमारी जिन्दगी का एक अहम् हिस्सा है।
हम हर बार जो महसूस करते है उसीको एहसास मान लेते हैख़ासकर छोटे बचों का एहसास, एक बड़ा ही प्यारा एहसास माना गया है। उनके मासूम से चेहरे, उनपर निष्पाप मन की झलक, मासूम और सरल से सवाल, बस.. ये सब सोचते हुए ही एक प्यारासा एहसास लगने लगता है।

जिन्दगी के हर मोड़ पर श्यायद एहसास ही हमारा साथ देते है।
श्यायद एहसास ही हमारी जिन्दगी होते है।

मन की भाषा.......

Sunday, June 21, 2009

कभी कभी....... जिंदगी ऐसी क्यों होती हैं ?......

ऐसा क्यों होता है जब इंसान अपनी सोच को आगे बढ़ाना चाहता है तो ज्यादातर उसके कदम हर बार पीछे की और मूड ज्याते हैं। क्यों कोई अपनी सोच की तरह नहीं जी पाता ? उसे ऐसी कोंन सी चीज़ है जो आगे जाने नहीं देती ?

जिन्दगी के हर रास्तों पर चलने के बावजूद भी उसके तजुर्बे उसे अपनी मंजिल तक जाने के लिए उसकी मदद नही कर पाते ? जब जिन्दगी सिर्फ़ एक सवाल बनकर रह जाती है......

हर कोई सोच कर भी कितना सोच पायेगा, एक मुकाम पर उसकी सोच भी उसका साथ छोड़ देगी।

फिर उसके पास ऐसा क्या रह जाएगा जो उसके साथ चल सके ?

कभी कभी कुछ सवालों के जवाब नहीं होते और होते भी है तो उसे मिल नहीं पातें......

एक मुसाफिर.......

Saturday, June 20, 2009

True friends are like mornings, u can't have them the whole day, but u can be sure, they will be there when u wakeup tomorrow, next year and forever.


If friends were flowers I would not pick you! I'll let you grow in the garden & cultivate you with love and care so I can keep you as a friend 4ever!!