Wednesday, November 25, 2009




मासूमियत....





मासूमियत.... एक अनजान भावना होतीं हैं।








यह हर तरह की निष्पापता और खुशी होतीं हैं।


इसे महसूस करने में बड़ी खुशी मिलतीं हैं।


यह सुंदर तथा सरल होतीं हैं।


इसकी हर कृति में सुन्दरता तथा सहजता होतीं हैं।


इसमे सदभावना तथा सहायता होतीं हैं।


इसमें विश्वास और आत्मीयता होतीं हैं।


यह हर बातों से अनजान होतीं हैं।


इसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता हैं, इसे प्रकट करना कठिन होता हैं।


इसमें प्रेम, कोमलता और शालीनता होतीं हैं।





मासूमियत.... एक अनजान भावना....

Wednesday, November 4, 2009


वादा....


वादा.... जब हम अपने आप से करतें हैं तब उसका पुरा होना लगभग तय होता हैं।



वादा हम अपने आप से ही करतें हैं।

और जब करतें हैं तब उसे पुरा करने का संकल्प भी करतें हैं।

जब हम अपने आप से वादा कर चुके होतें हैं ता उसे पुरा करने की ताकद भी जुटा चुकें होतें हैं।

हर काम की शुरुआत आत्मा की अनंतमई इच्छा तथा लगन से शुरू होने लगतीं हैं।

लक्ष्य पर ध्यान अपने आप केंद्रित होने लगता हैं।

मेहनत.... कार्य का एक साधन बन जाती हैं।

वादा आत्मविश्वास भी साथ में लाता हैं।

हर कार्य जो हाथ में लिया जाता हैं वह अवश्य ही पुरा होने लगता हैं।

इसीलिए कोई भी कार्य शुरू करनें से पहलें अगर हम अपने आप से वादा कर लें तो उसके पुरा होने का संकल्प भी कर लेतें हैं।



वादा.... कार्य की शुरुआत भी और कार्य का अंत भी....

Monday, November 2, 2009



शरारत....



शरारत.... एक प्यार भरा अहसास।








इसमें उमंग और उत्साह साथ साथ चलतें तथा मुस्कुरातें हैं।


इसमें आनंद की भावना हर घड़ी, हर पल होतीं हैं।


इसमें छेड़खानी की भावना सबसे आगे और सबसे प्रबल होतीं हैं।


इसमें शरारत के साथ साथ ख्याल भी होता हैं।


इसमें प्रेम की भावना हर पल हर घड़ी होतीं हैं।


इसमें मिठास प्रमाण से ज्यादा होतीं हैं।


छेड़खानी में ज्यादातर पवित्रता होतीं हैं।


यह पवित्रता आंखों से प्रमाणित होतीं हैं।


छेड़खानी का संबंध आत्मा से कब जुड़ जाता हैं पता ही नहीं चलता।


छेड़खानी में ज़िन्दगी के सारें गम कब भूल जातें कभी याद आतें हैं ?




छेड़खानी.... जिंदगी की एक अद्भुत कला....

Sunday, November 1, 2009



स्वभाव....



स्वभाव एक समझ की तरह होता हैं।















हम क्या होतें हैं, हम क्या महसूस करतें हैं, हम क्या चाहतें हैं, हम किस बात से प्रभावित होतें हैं यह सब हमारें स्वभाव से प्रकट होता हैं।


हमारा स्वभाव हमारें विचारों का दर्पण होता हैं।


हमारीं इच्छा, हमारा चाहना, हमारीं मिठास हमारें स्वभाव में ही छुपीं होतीं हैं।


हमारा प्रेम हमारीं आत्मा से बंधा होता हैं।


हमारें स्वभाव से एक समझ जुड़ी होतीं हैं।


हमारें स्वभाव में एक तरह की सादगी होतीं हैं जिसे ताडने वाले सही तरीके से ताड़ लेतें हैं।


स्वभाव में एक प्रकार की पवित्रता भी होतीं हैं।


हमारा स्वभाव हमारीं मासूमियत का परिमाण होता हैं।



स्वभाव.... हमारें व्यक्तिमत्व का दर्पण....