Wednesday, November 4, 2009


वादा....


वादा.... जब हम अपने आप से करतें हैं तब उसका पुरा होना लगभग तय होता हैं।



वादा हम अपने आप से ही करतें हैं।

और जब करतें हैं तब उसे पुरा करने का संकल्प भी करतें हैं।

जब हम अपने आप से वादा कर चुके होतें हैं ता उसे पुरा करने की ताकद भी जुटा चुकें होतें हैं।

हर काम की शुरुआत आत्मा की अनंतमई इच्छा तथा लगन से शुरू होने लगतीं हैं।

लक्ष्य पर ध्यान अपने आप केंद्रित होने लगता हैं।

मेहनत.... कार्य का एक साधन बन जाती हैं।

वादा आत्मविश्वास भी साथ में लाता हैं।

हर कार्य जो हाथ में लिया जाता हैं वह अवश्य ही पुरा होने लगता हैं।

इसीलिए कोई भी कार्य शुरू करनें से पहलें अगर हम अपने आप से वादा कर लें तो उसके पुरा होने का संकल्प भी कर लेतें हैं।



वादा.... कार्य की शुरुआत भी और कार्य का अंत भी....

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