Monday, November 2, 2009



शरारत....



शरारत.... एक प्यार भरा अहसास।








इसमें उमंग और उत्साह साथ साथ चलतें तथा मुस्कुरातें हैं।


इसमें आनंद की भावना हर घड़ी, हर पल होतीं हैं।


इसमें छेड़खानी की भावना सबसे आगे और सबसे प्रबल होतीं हैं।


इसमें शरारत के साथ साथ ख्याल भी होता हैं।


इसमें प्रेम की भावना हर पल हर घड़ी होतीं हैं।


इसमें मिठास प्रमाण से ज्यादा होतीं हैं।


छेड़खानी में ज्यादातर पवित्रता होतीं हैं।


यह पवित्रता आंखों से प्रमाणित होतीं हैं।


छेड़खानी का संबंध आत्मा से कब जुड़ जाता हैं पता ही नहीं चलता।


छेड़खानी में ज़िन्दगी के सारें गम कब भूल जातें कभी याद आतें हैं ?




छेड़खानी.... जिंदगी की एक अद्भुत कला....

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