Sunday, December 13, 2009

समझना....

किसी बात को समझना हो तो उस समझनें में आत्मा का अस्तित्व होना अतिआवश्यक होता हैं।


अगर हम बुद्धि का सहारा लेने जाए तो हमारीं सोच सिर्फ़ यांत्रिकीय सोच बनकर रह जातीं हैं।


आत्मा का अस्तित्व होना यानि उस बात को जी लेना।


और जब तक हम उस बात को जिन्दा होकर समझ न लें तो उस बात का असर कायम स्वरुप में नही रहता।


वास्तविकता में वह बात हमारीं समझ में ही नहीं आतीं, फिर चाहे भले ही हमें ऐसा अहसास होता हो की वह बात को हम भलीं भांति जान या समझ चुकें हैं, पर वास्तविकता में हम बिल्कुल भी उस बात को न जान चुकें होतें हैं, न ही समझ चुकें होतें हैं।


आत्मा का होना यानि हमारें जीवित होने की निशानी होतीं हैं।


जब आत्मा का सहारा लिया जाता हैं तो समझ लीजिये की भगवान् का सहारा लिया हो।


इसीलिए जब आत्मा को अपने भीतर जगाकर या आत्मा में ख़ुद मिलकर किसी बात को जी लिया जाय तो वह बात सदा के लिए हमारें भीतर बस जातीं हैं।


बस... आत्मा को अपने साथ हमेशा रखें तो जीवन की हर बात अनुकूल हो जातीं हैं।


आत्मा हमारीं सबसे बड़ी ताकद और संजीवनी होतीं हैं।


समझना.... आत्मा की अनुभूति जी लेना....

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