कभी कभी....... जिंदगी ऐसी क्यों होती हैं ?......
ऐसा क्यों होता है जब इंसान अपनी सोच को आगे बढ़ाना चाहता है तो ज्यादातर उसके कदम हर बार पीछे की और मूड ज्याते हैं। क्यों कोई अपनी सोच की तरह नहीं जी पाता ? उसे ऐसी कोंन सी चीज़ है जो आगे जाने नहीं देती ?
जिन्दगी के हर रास्तों पर चलने के बावजूद भी उसके तजुर्बे उसे अपनी मंजिल तक जाने के लिए उसकी मदद नही कर पाते ? जब जिन्दगी सिर्फ़ एक सवाल बनकर रह जाती है......
हर कोई सोच कर भी कितना सोच पायेगा, एक मुकाम पर उसकी सोच भी उसका साथ छोड़ देगी।
फिर उसके पास ऐसा क्या रह जाएगा जो उसके साथ चल सके ?
कभी कभी कुछ सवालों के जवाब नहीं होते और होते भी है तो उसे मिल नहीं पातें......
एक मुसाफिर.......
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