
नज़र
नज़र.... एक मन का दर्पण। अपने मन का संभाषण अपनी नज़र से कहा या व्यक्त किया जाता है।
अपने मन के हर भाव को नज़र के द्वारा प्रकट किया जा सकता है।
नज़र किसी के दिल तक पहुँचने का एक जरिया है। कहते है की दिल भाषा आंखों से और आंखों की भाषा दिल से पढ़ी या जानी जा सकती है।
किसी के मन की बात पढ़नी हो तो सिर्फ़ उनकी आंखों में देख लो.... मन की बात अपने आप समज में आ जाएगी। कोई चाहे कितनी भी कोशिश करे पर अपने दिल की बात को अपनी आखों से, अपनी नज़र से नहीं छुपा सकतें।
नज़र हमेशा सच कहती है। यह एक ही बात या चीज है जो सिर्फ़ सच कहना जानती है। नज़र पर कभी किसी का ज़ोर नहीं चलता। ये तो बस हमेशा दिल का दर्पण बयां करती है। नज़र का रास्ता सीधा दिल तक जाता है, यानी किसी के दिल को जानना हो तो सिर्फ़ उनकी नज़र से नज़र मिला लीजिए, सब बातें अपने आप समाज में आ जाएंगी।
नज़र एक मन की परिभाषा होती है।
नज़र... दिल तक ले जाने वाला सीधा रास्ता.....
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