Monday, June 22, 2009

एहसास.......

एहसास.......
जींदगी कभी कभी एक एहसास लगती है। बच्यों को रूठे हुए देखना, उन्हें हँसता हुआ देखना, उनको मनाते हुए देखना, ये सभी एक एहसास ही तो है।
एक ओर जिन्दगी के साथ रहकर उसके हर पहलु को समजना ओर उसके एहसास को जीना, ये बातें कभी कभी तो समज के बाहर होती है। फिर भी ये एहसास बहोत बार अच्छे लगने लगते है।

श्यायद इन्ही एहसासों की वजह से जिन्दगी मीठीसी लगाती है। एहसास हमारी जिन्दगी का एक अहम् हिस्सा है।
हम हर बार जो महसूस करते है उसीको एहसास मान लेते हैख़ासकर छोटे बचों का एहसास, एक बड़ा ही प्यारा एहसास माना गया है। उनके मासूम से चेहरे, उनपर निष्पाप मन की झलक, मासूम और सरल से सवाल, बस.. ये सब सोचते हुए ही एक प्यारासा एहसास लगने लगता है।

जिन्दगी के हर मोड़ पर श्यायद एहसास ही हमारा साथ देते है।
श्यायद एहसास ही हमारी जिन्दगी होते है।

मन की भाषा.......

No comments:

Post a Comment