Friday, June 26, 2009



सुन्दरता......


सुन्दरता.... नैसर्गिकता की एक झलक होती है। सुन्दरता के हर पहलु में नैसर्गिकता झलकती है।

एक तरह से देखा जाए तो नैसर्गिकता ही सुन्दरता होती है।

फिर वो जो कुछ भी हो, सुन्दरता और नैसर्गिकता एक दूजे के दर्पण ही होते है। सुन्दरता को किसी एक दृष्टी से नही देखा जा सकता, बल्कि सुन्दरता के हर पहलु में एक सादगी होती है और सादगी हमेशा सादगी ही होती है और सादगी भी नैसर्गिकता का एक हिस्सा होती है।



नैसर्गिकता एक सुन्दरता के रूप में देखी जा सकती है और उसी तरह सुन्दरता भी एक नैसर्गिकता के रूप में देखी और महसूस की जा सकती है। सुन्दरता एहसास की जा सकती है, बल्कि नैसर्गिकता तो ख़ुद एक सुन्दरता होती है। जिसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है। सुन्दरता एक मीठा एहसास होती है। सुन्दरता मन को भा जाती है।



जहाँ सुन्दरता एक एहसास है वहां नैसर्गिकता एक गुन है। सभी गुन अगर नैसर्गिक रूप से बहर आए तो एक बहोत प्यारा संगम हो सकता है। सुन्दरता और नैसर्गिकता बस मन में बसी हुई एक छबि होती है।



सुन्दरता एक नैसर्गिकता और नैसर्गिकता एक सुन्दरता........


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