Friday, September 4, 2009



अंदाज़....



अंदाज़.... बात को प्रकट करने का एक तरीका होता हैं शायद इसे ही अंदाज़ कहतें हैं।














हर बात प्रकट करनें का एक सहज मार्ग होता हैं और वह बात उसी तरीके से प्रकट की जाए तो ही भातीं हैं।


उस की मिठास उसी अंदाज़ में प्रकट करने से होतीं हैं।


उस बात की सुन्दरता तथा निर्मलता उसी अंदाज़ में होतीं हैं।


अंदाज़.... बात की सत्यता को बनाए रखता हैं।



अंदाज़.... बात की अंदरूनी सत्यता....

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