Tuesday, September 22, 2009

एक दौर....


हर जीवन में एक दौर होता हैं।


आइए आज इस दौर के बारें में कुछ बात करें।


आज उस दौर के बारें में बात करेंगे जब हम अपनी सफलता के चरम बिन्दु पर होतें हैं।


वह एक लय होतीं हैं।


यह एक मानसिकता का भाग होतीं हैं।


आज इसी लय के बारें में यानि मानसिकता के बारें में कुछ कहना चाहेंगे।


उच्च स्नातक करतें हुए एक बार "संध्यानंद" नामक अखबार में व्यक्तिमत्व विकास के बारें पढ़ रहें थे, उसमें लिखा था की अगर आप सफल व्यक्ति बनना चाहतें हो तो आप अपने आप से इतना ही कहो की "हम सफल बनकर ही रहेंगे"।


बस आप इतना कहकर अपने काम में लग जाइए, सफल कैसे बनना हैं इस मार्ग की ओर बुद्धि अपना काम करना शुरू कर देगी।


अब कैसे सफल होना हैं यह बुद्धि का काम हैं।


अब आप उस काम के बारें में यह सोचना बिल्कुल छोड़ दीजिए की ऐसा हुआ तो क्या करना हैं और वैसा हुआ तो क्या करना हैं, जिस काम में आप सफलता प्राप्त करना चाहतें हो।


क्यों की अगर आप इस बात में फंस गए तो सफलता को कभी भी प्राप्त नहीं कर पाओगे।


यह सब कुछ सौ प्रतिशत बुद्धि पर छोड़ दीजिए और फिर देखीए की बुद्धि अपना काम कैसे करतीं हैं।


जब आप इतना कर लोगे की बुद्धि को अपना काम करने दे और आप अपना, तो आप इसे चमत्कार कहें या कुछ और, पर आप देखोगे और अनुभव भी करोगे की आप उस लय को पा चुके हो जिस की आप को सफलता पाने के लिए ज़रूरत थी।


बस आप इतना कर लीजिए की क्या होगा, कैसे होगा, यह हुआ तो क्या करना हैं, वह हुआ तो क्या करना हैं, इस चक्कर से हमेशा दूर रहना हैं।


क्यों की यह वह चीज़ होतीं हैं जो आप को उस लय से हमेशा दूर रखतीं हैं।


एक बार इस बात पर प्रयास करनें में क्या हर्ज़ हैं ? हैं ना ?


सफलता की ओर बढाया हुआ एक सहज कदम ....

No comments:

Post a Comment