Tuesday, September 8, 2009



कहना....



कहना.... योग्य तरह से, सही तरीके से किसी बात को व्यक्त करना या प्रकट करना "कहना" कहलाता हैं।












हर बात अपने ही तरीके से कही तथा व्यक्त की जाती हैं।


कभी कभी कुछ न कहने से भी बहोत कुछ कहा जा सकता हैं।


कभी कभी पुरी तरह न देखने से भी बहोत कुछ देखा तथा समझा जा सकता हैं।


यह सब सही तरीके से कहने तथा सही तरीके से देखने से होता हैं।


कहने की यानि प्रकट करने की अपनी अलग ही परिभाषा होतीं हैं।


और यह भाषा अंदरूनी रूप से ही उमड़कर आतीं हैं।



कहना.... आत्मा की अंदरूनी परिभाषा....

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