
साथी....
साथी.... जिंदगी की एक ज़रूरत।
हर एक रिश्ता जो आत्मा से बनता हो वह "साथी" कहलाता हैं।
यह एक प्रतिबद्ध रिश्ता होता हैं।
इसमें एक नाता होता हैं जो हमेशा निभाया जाता हैं।
इसमें एक दूजे के प्रति स्नेह तथा ममता होतीं हैं।
इसमें एक दूजे के प्रति आदर तथा सम्मान होता हैं।
इस रिश्तें में गहराई होतीं हैं जो धीरे-धीरे बढ़तीं जाती हैं।
इसमें समर्पण भाव नैसर्गिक रूप से होता हैं।
अपने से पहले दूजे के प्रति जादा देखभाल की भावना होतीं हैं।
इस रिश्तें में प्रेम होता हैं।
इस रिश्तें में आतुरता होतीं हैं।
इस रिश्तें में सत्यता तथा गंभीरता होतीं हैं।
इस रिश्तें में अपनापन होता हैं।
इसमें भावुकता होतीं हैं।
इस रिश्तें में त्याग की भावना आत्मा से निकलतीं हैं।
इस रिश्तें में मित्रता होतीं हैं।
इस रिश्तें में प्यार होता हैं।
इसमें आत्मसंबंध होता हैं।
सबसे महत्वपूर्ण इसमें "विश्वास" नैसर्गिक रूप से होता हैं।
इसमें एकता होतीं हैं।
इस रिश्तें में जान होतीं हैं।
इसमें एक दूजे के प्रति मिठास होतीं हैं।
इस रिश्तें में मीठापन होता हैं।
साथी.... जिंदगी की सबसे बड़ी ज़रूरत....