
दर्पण....
दर्पण अपने विचारों का प्रतिबिम्ब होता हैं।
दर्पण हमेशा विचारों के अनुकूल ही प्रतिबिम्ब दिखाता हैं।
दर्पण में प्रतिमाएं होती हैं, वह प्रतिमाएं जो हमारें विचारों को दर्शातीं हैं।
जैसे विचार होतें हैं उन्हीं के अनुरूप प्रतिमाएं दर्पण में दिखतीं हैं।
ये प्रतिमाएं नैसर्गिक होतीं हैं।
आत्मा की छबि विचारों के द्वारा दर्पण से प्रकट होतीं हैं।
आत्मा तो सहज रूप से विचारों को प्रकट कर देती हैं।
दर्पण.... आत्मा का विचारों द्वारा प्रकट होने वाला प्रतिबिम्ब....
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