Monday, August 10, 2009



प्रेम....



एक प्यारी सी मिठास एक प्यारी सी मुस्कान के लिए.... हाँ.... बस.... यहीं हैं "प्रेम"।




जब रिश्ता आत्मा से बनता हो और उस आत्मा की आवाज़ जब आखों से गूंजती हुई ह्रदय में जाकर ज़ोर से कुछ स्पंदन कर रहीं हो, कुछ कह रही हों तो बस.... समझ लीजिए की प्यार की बरसात शुरू हो गई हैं।


जब उस मीठी मुस्कान की वजह से हर बात में जब मिठास आने लगें तो बस यही प्यार हैं।


जब वह मीठी मुस्कान हमेशा पास रहने का दिल और मन दोनों.... हाँ.... जी.... हाँ.... जब दिल और मन दोनों करें तब वही प्यार हैं।


हमेशा वह मीठी मुस्कान बस.... पास रहें यहीं आत्मा जब चाहें तब जान लेने की ज़रूरत ही कहाँ पड़तीं हैं क्यों की तब यह सब बातें समजने के लिए मन कहा खालीं होता हैं।


सब कुछ एक ही लगने लगता हैं।


उस मुस्कान की मिठास आत्मा पर कब के अपने रंग उडेल चुकी होतीं हैं।


बस.... वह मिठास ही मिठास दिखनें तथा महसूस होनें लगतीं हैं।


इसी के साथ "देखभाल" भी अपना दामन "प्यार" से जोड़ लेतीं हैं।


बस..... अब बाकी बातें महसूस कर लो....


यही प्यार के प्रति स्नेह होगा, उस मिठीसी मुस्कान के प्रति प्यार होगा।





प्यार.... बस.... महसूस कर लीजिए....

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