
नायक....
नायक.... किसे कहा जा सकता हैं नायक....
सिर्फ़ उसे जिसमें हर परिस्थिति का सामना करने की तैयारीं हैं, भावना हैं....
जब यह भावना होतीं हैं तो ऐसे परिस्थिति से सामना करने की ताकद और हिम्मत अपने आप आ जाती हैं।
नायक.... एक अनुभव का भंडार होता हैं।
नायक.... परिस्थिति के हर रंग तथा पहलु को जान तथा जी चुका होता हैं।
एक नायक के लिए ख़ुद के प्रति इमानदार होना बहोत ज़रूरी होता हैं।
नायक परिस्थितियों से अपने आप बन तथा सवर जातें हैं।
एक नायक की इच्छा ही परिस्थितियों का रंग-ढंग बदल देतीं हैं।
नायक.... परिस्थितियों ने बनाया हुआ एक अद्भुत हिरा....
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