
खुशीं....
खुशीं.... आत्मा की प्रसन्नता होतीं हैं।
खुशीं.... जब हर घटना जो आत्मा चाहती हो और उस के अनुरूप वह घट जाए तब खुशीं की असली बुहार देखनें मिलतीं हैं।
खुशीं में हमेशा असलियत छुपीं होतीं हैं।
जो भी बात जब आत्मा चाहे तो वह बात शुभ एवं प्रसन्नदायक होतीं हैं।
इसीलिए जब आत्मा ने चाही हुई घटना जब घटतीं हैं तब खुशीं की बौछार उमड़ उठातीं हैं।
आत्मा की इच्छा पवित्र होतीं हैं।
इसमें प्रसन्नता झलकती हैं।
खुशीं हमेशा मासूम होतीं हैं।
खुशीं हमेशा हर बात से परें होतीं हैं।
खुशीं हमेशा निर्मल होतीं हैं।
खुशीं.... आत्मा की प्रसन्नता....
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