
आत्म-सम्मान....
आत्म-सम्मान.... जब कोई हमारें आत्म-सम्मान को बनाए रखें इस से बढ़कर और क्या सम्मान हो सकता हैं।
आत्म-सम्मान से हमारीं पहचान बनतीं हैं।
बल्कि आत्म-सम्मान ही हमारीं पहचान बनाता तथा बढाता हैं।
आत्म-सम्मान से हमें आत्मविश्वास मिलता हैं।
जब कोई हमारें आत्म-सम्मान की रक्षा करता हैं तो हमारें साथ साथ वह अपना सम्मान और गौरव भी बढाता हैं।
आत्म-सम्मान में स्वाभिमान झलकता हैं।
आत्म-सम्मान में एक विश्वास दिखाई देता हैं।
आत्म-सम्मान से एक बंधन जुड़ता हैं।
आत्म-सम्मान हमारीं सही पहचान कराता हैं।
आत्म-सम्मान में एक तेज होता हैं जो सिर्फ़ महसूस किया जा सकता हैं।
आत्म-सम्मान.... हमारीं सच्ची पहचान....
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