
प्रार्थना....
प्रार्थना.... मन तथा ह्रदय को पवित्र करती तथा पवित्र रखतीं हैं।
प्रार्थना से मन पवित्र बनता हैं।
प्रार्थना से मन सात्विक बनता हैं तथा मन की सात्विकता बनीं रहतीं हैं।
प्रार्थना से मन के विचार शुद्ध बनते हैं।
प्रार्थना से ह्रदय प्रफुल्लित बनता हैं तथा मस्तिष्क में शीतलता एवं शांतता आतीं हैं।
प्रार्थना मन में उच्च विचार लाती हैं।
प्रार्थना से आत्मिक संतोष मिलता हैं।
प्रार्थना से शुभ विचार मन में रहतें हैं।
प्रार्थना से जीवन में सात्विकता आने लगतीं हैं।
प्रार्थना से मन, ह्रदय तथा आत्मा प्रसन्न रहतें हैं
प्रार्थना से जीवन में उज्वलता आतीं हैं।
प्रार्थना से जीवन प्रकाशित हो उठता हैं।
प्रार्थना.... सभी सात्विक गुणों की शुरुआत....
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