Tuesday, July 14, 2009






मन के द्वार....




मन के द्वार..... हमेशा एक सुन्दरता की निशानी होतें हैं।



सुन्दरता की झलक मन के द्वार से ही होकर गुजरती हैं।



मन के सारें रंग मन के द्वार पर झिलमिलातें हुए नज़र आतें हैं। क्या कोई जान या महसूस भी कर पता हैं की मन के द्वार कैसे होतें हैं।



सच पूछों तो मन के द्वार हमेशा सुंदर तथा कोमलता के फूलों से सजे हुए होतें हैं। मन के द्वारों से एक अलग सी ही महक आतीं हैं।



मन के द्वार जब कोई अपने मन से देख लेता हैं तो फिर कुछ जानने की या समझने की ज़रूरत ही कहाँ रह जाती हैं।



मन की हर भावना, मन के द्वार पर हमेशा एक दूजे से अपनी बात करती हुई दिखाई देतीं हैं।



क्या मन के द्वार इतने सुंदर होतें हैं ? जी हाँ....





मन के द्वार...... हर शुभ काम की शुरुवात....

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