Thursday, July 30, 2009



शिक्षा....



शिक्षा.... मनुष्य जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग होता हैं।












जीवन का पाठ हमेशा पढ़ा जाता हैं ना की पढाया जाता हैं।


लेकिन हाँ जब कभी किसी लायक मनुष्य से कुछ सिखने मिलें तो उसे सिख लेना चाहिए।


शिक्षा जब कभी भी, जहाँ कहीं पर भी मिलें मनुष्य ने उसे सिख लेना चाहिए।


जब हमें शिक्षा मिल रहीं हों तो हमें इसे हमारा सदभाग्य समझ लेना चाहिए।


जब शिक्षा मिल रहीं हों तो उसे ध्यान से और समतोल मन से समझ तथा सिख लेना चाहिए।


शिक्षा मिलना यह हमारा महत्भाग्यहोता हैं।


शिक्षा देने वाला हमारें दोषों को घटाता नही बल्कि हमारें गुणों को बढाता हैं, ऐसे गुणों को जिससे हम हमारें दोषों को मिटा सकें।


हमारें दोष हमें ही मिटानें होतें हैं। शिक्षा देने वाला तो हम में वो ताकद बढ़ा देता हैं जिससे हम ख़ुद हमारें दोषों को जान सकें और उन्हें मिटा सकें।


किसी समस्या को सुलझानें का एक बहोत ही सरल उपाय यह हैं की उस समस्या को अच्छी तरह और पुरी तरह जान ले की असल में समस्या क्या हैं।


अगर यह हम पुरी आत्मीयता से करलें तो उपाय अपने आप सामने आ जाएगा। फिर तो ना उपाय ढूँढना पड़ेगा और ना उसके प्रति कोई कष्ट उठाना पड़ेगा।


बस.... समस्या क्या हैं यह अच्छी तरह जान तथा पहचान लें।


कोई चाहे कितनी भी कोशिश क्यों न करें हमारें दोषों को मिटा नहीं सकता।


हमारें दोष हमें ही मिटानें होतें हैं। क्यों की हम ही वो व्यक्ति होतें हैं जो अपने आप को औरों से ज्यादा भली भांति जानते हैं।



शिक्षा.... मनुष्य जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग....

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