Wednesday, July 1, 2009


कोशिश.....


किसी चीज़ को पाने की चाहत होना किंतु उसे न हासिल कर पाना फिर भी दृढ़ इच्छा से उसे पाने का प्रयास करना "कोशिश" कहलाती हैं।


"कोशिश"... किसी चीज़ के आवश्यक होने पर न हासिल कर पाना.. फिर भी उसे हासिल करने की चाह रखना या उस चीज़ को पाना आवश्यक बन जाना और उस लिए आवश्यक कदम बढ़ाना "कोशिश" कहलाती हैं।


"कोशिश" यह एक दृढ़ निष्ठां के प्रति बढाया हुआ साहसी कदम होता हैं। इस प्रयास में "आवश्यकता" लक्ष्य होती हैं, एक मज़बूत आधार होती हैं। "कोशिश" प्रामाणिकता का प्रमाण होती हैं।


किसी चीज़ का अत्यंत आवश्यक बन जाना और उसे पानी के प्रती आवश्यक कदम उठाना "कोशिश" ही तो हैं।


"चाह" ही तो "कोशिश" को आगे बढाती हैं। बिना चाहत या आवश्यकता के "कोशिश" के प्रती कदम उठाया ही नहीं जा सकता।


जब बिना चाहत या आवश्यकता के "कोशिश" की जाए तो वह

"निष्पाप कर्म" कहलाता हैं।



कोशिश... किसी को पाने के प्रती उठाया हुआ पहला कदम.....


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