Wednesday, July 29, 2009



तैयारी....



कुछ पाने की इच्छा होना और उस के लिए शुरुवात करना तैयारी कहलाती हैं।







इसमें इच्छा होतीं हैं। इसमें दृढ़ निश्चय होता हैं।


इसमें विजय पाने की चाहत होतीं हैं।


इसमें विजय पाने के प्रति समर्पण होता हैं।


इसमें खुशी होतीं हैं। इसमें आत्मविश्वास होता हैं।


इसमें आत्मा का दर्पण झलकता हैं।


तैयारी आत्मा की अंदरूनी इच्छा तथा चाहत होतीं हैं।


इसमें ध्यान सीधा मंजिल पर होता हैं।


इसमें जीतना ही लक्ष होता हैं।


इसमें हर बात के लिए मानसिक तथा शरीरिक संतुलन बनाया जाता हैं।


तैयारी हर चीज़ की जान होतीं हैं।



तैयारी.... एक दृष्टिकोण.....

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