Tuesday, July 28, 2009



प्रशिक्षक....



प्रशिक्षक बनने की इच्छा करें तो अच्छें खिलाड़ी अपने आप बन जाओगे।






अगर अच्छा नायक बनने की इच्छा हो तो अच्छा अनुयायी बनने की कोशिश करें।


प्रशिक्षक एक अनुभव होता हैं। हमारीं खामियों तथा त्रुटियों को प्रशिक्षक अच्छीं तरह जान तथा पहचान सकता हैं।


हमारें अन्दर सो रहे स्वत्व को प्रशिक्षक जगा सकता हैं।


हमारीं खूबियों को ताकद में बदलना प्रशिक्षक अच्छीं तरह जानता हैं।


प्रशिक्षक का ध्यान ऊपर से निचे की ओर होता हैं, जबकि एक खिलाड़ी का ध्यान निचे से ऊपर की ओर होता हैं।


प्रशिक्षक हर बात को आसानी से भाप सकता हैं।


प्रशिक्षक शिस्त होता हैं। प्रशिक्षक खिलाड़ियों की प्रति नहीं बल्कि ख़ुद के प्रति कठोर होता हैं।


इसीलिए कोई निर्णय लेते हुए उसे सबसे पहले अपने प्रति कठोर बनना पड़ता हैं।


प्रशिक्षक हमारा सबसे पहला शुभचिंतक होता हैं।


माता पिता के बाद प्रशिक्षक का ही मान होता हैं। माता पिता भी प्रशिक्षक का रूप हो सकतें हैं।



प्रशिक्षक.... हमारीं जिंदगी का शिल्पकार....

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